भारतीय संस्कृति के अनुसार हिन्दू धर्मं में हम जो भी शुभ काम करते है तो सबसे पहेले विघ्न हरता देव श्री गणेशजी को याद करते है | श्री गणेश जी देवाधी देव महादेव भगवान् शंकर और माता पारवतीजी के पुत्र है | उनका जन्म भाद्रपद मास की चतुर्थी को हुआ था इसीलिए इस दिनको "गणेशचतुर्थी" के नाम से जाना जाता है| गणेश चतुर्थी से दस दिन तक गणपति बाप्पा की प्रतिमा रखकर पूजा आरती करते है और आखरी दिन उनका विसर्जन करते है |गणेश चतुर्थी 'विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जानी जाती है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। आज गणेशोत्सव एक विराट रूप ले चुका है।ज्यादातर महाराष्ट्र में गणेश उत्सव बहुत जोरो शोरो से मनाया जाता है | आज भारत के हर कोने में येउत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | इसी तरह इस साल भी गणेश उत्सव बड़े जोरो सोरो से मनाया जायेगा | निचे गणेश उत्सव की तारीख ,शुभ मुहूर्त , पूजा समय बारे में बात करेंगे|
गणेश चतुर्थी तारीख : १३ सितम्बर २०१८
गणेश विशार्जन तारीख :शरुआत के तिन दिन,पांच दिन, सात दिन और दस दिन
गणेश जी की मूर्ति स्थापित और पूजा का शुभ मुहूर्त : 13 सितंबर मध्याह्न - 11:03 से 13:30
गणेश जी की पूजा मंत्र
"ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।"
"वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। "
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। "
कैसे माने जाता है गणेश उत्सव
लोग श्रद्धा से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना अपने घर, गली, मोहल्ले में करते हैं और रोज उनकी पूजा, आरती व रंगारंग कार्यक्रमों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।गणपति बाप्पा की प्रतिमा रखने के लिए सुन्दर शुशोभन करते है | रंग बेरंगी लाईट से सजाते है | हररोज बाप्पा को अलग अलग श्रुंगार करते है| गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके हररोज गणेशजी की पूजा करते है और सुबह शाम दो बार आरती करते है | बाप्पा को अलग अलग भोग अर्पण करते है | बाप्पा का प्रिय भोग लड्डू भी अर्पण करते है| शाम को आरती के पश्चात भजन कीर्तन का कार्यक्रम रखते है |तीन, पांच या दस दिन बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन करने के पीछे मान्यता है कि जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो कुछ लेकर आते हैं इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं, वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि कायम रहती है। "गणपति बाप मोरिया" "घी में लाडू चोरिया" "अगले बरस तू जल्दी आ " जैसे नारों से सारा नगर गूंज उठता है | इस प्रकार गणेश उत्सव मानते है और गणपति बाप्पा के प्रति सच्ची और पक्की भक्ति उदहारण देते है | जय गणेश ..
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