इस पोस्ट में हम आपको हमारे राष्ट्रपिता 'महात्मा गांधीजी ' के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे |
" देदी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल , साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ", ये पंक्ति जिनके लिए बनायीं गयी है वो साबरमती के संत "महात्मा गांधीजी" जिसे हम प्यार से 'बापू ' बुलाते है इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है | गांधीजी ने अपनी मेट्रिक परीक्षा राजकोट की आल्फ्रेड हाइस्कुल में से पूरी की|कालेज की पढाई शामलदास कालेज भावनगर में प्रथम सत्र पूर्ण करके लंडन पहुच गए , और वहा से बेरिस्टर की पदवी प्राप्त करके भारत परत आ गए | उसके बाद वो मुंबई और राजकोट की असफल वकीलात बाद दक्षीण आफ्रिका पहुचे|१८९४ में वहा के हिन्दियो के हक के लिए 'नाताल इंडियन कोंग्रेस 'की स्थापना की |फिर दक्षीण आफ्रिका में हुए भारतीयों से अन्याय के करान सन १९१५ में वे भारत लौटे और अहमदबाद में 'सत्याग्रह आश्रम ' की स्थापना की |
सदियों से गुलाम बने भारत देश को स्वतंत्र कराना गांधीजी का सबसे बड़ा महान कार्य था |दुनिया के इतिहास में यह एक नया प्रयोग था , इसी लिए गांधीजी 'युग पुरुष ' कहलाए |गांधीजी पवित्र ह्दय के महापुरुष और महान समाज सुधारक थे | उन्होंने नए समाज की नीव डाली |अछूतो की दुर्दशा उनसे देखि न गई और उन्होंने उनका उद्धार करने का बीड़ा उठाया |गरीब भारत को उन्होंने तकली और चरखे द्वारा रोजी रोटी दी |मद्य-निषेध , नीरक्षरता-निवारण , स्त्री -शिक्षा, ग्रामोद्वार आदि के लिए उन्होंने राष्ट्रभाषा का प्रचार किया और हिन्दू -मुस्लिम एकता के लिए वे आजीवन प्रयत्न करते रहे|
पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गाँधी
जन्म स्थान: पोरबंदर , गुजरात , भारत
जन्म दिनाक : २ अक्टूम्बर . १८६९
पिता : करमचंद गाँधी
माता: पुतलीबाई
अभ्यास : एल .एल बी , वकीलात
पुत्र: हरिलाल,मणिलाल , रामदास , देवदास
मृत्यु: ३० जनवरी १९४८ ,दिल्ही

गांधी जी ने वर्ष १९१७-१८के दौरान बिहार के चम्पारण नामक स्थान के खेतों में पहली बार भारत में सत्याग्रह का प्रयोग किया। यहाँ अकाल के समय ग़रीब किसानों को अपने जीवित रहने के लिए जरूरी खाद्य फ़सलें उगाने के स्थान पर नील की खेती करने के लिए ज़ोर डाला जा रहा था।उस समय गांधीजी ने अंग्रेजो के सामने सत्याग्रह करके उनको उनका हक दिलवाया |सन १८१८ में 'खेडा सत्याग्रह' किया| सन १८१९ में 'रोलेक्ट एक्ट ' का विरोध किया|सन १९२० में इंडियन नॅशनल कोंग्रेस के सहकार से 'असहकार आन्दोलन ' की शुरुआत की उसी ही वर्ष में उस कार्यक्रम के भाग के रूप में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की | सन १९२२ में अंग्रेज अमलदारो ने गांधीजी को बंदी बनाया और जेल में ले गए |दो साल बाद १९२४ में उनको रिहा किये गए |सन १९२४-२५ में 'अस्पृश्यता निवारण ' और ' खादी के उत्पादन का रचनात्मक कार्य की शुरुआत की | 'हरिजन बंधू ' और 'हरिजन सेवक ' वृत पत्रों का संपादन किया | १९२८ में बारडोली सत्याग्रह में सहयोग दिया | सन १९३० में नमक के कायदे के लिए दांडी यात्रा आरंभ की और वहा नमक का कानून तोड़ दिया और अंग्रेज सरकार को जुका दिया| सन १९४२ में उन्होंने 'हिन्द छोड़ो 'आन्दोलन के बाद अंग्रेजो भारत से नकल जायेंगे वह तय कर दिया | आखिर में सन १९४७ की १५ अगस्त को भारत देश स्वंतंत्र हो गया |

गांधीजी सत्य और अहिंसा के पूंजारी थे | उनके जीवन में सादगी की महक आती थी | दुर्बल शरीर और घुटनों से ऊँची एकमात्र धोती पहननेवाले गांधीजी भारत की गरीबी के प्रतिक थे | दया , धर्मं और प्रेम की त्रिवेणी उनके हदय से लगातार बहा करती थी | अंग्रेजो के प्रति भी वो सदा क्षमाशील रहे | दक्षीण अफ्रीका में जिस मीर आलम पठान ने उनके दात तोड़ दिए थे , उसे भी उन्होंने जेल से छुडाया और अभय दान दिया |वे अन्याय को दूर करने के लिए अपने जीवन को भी दाव पे लगा देने से नहीं डरते थे |आखिर में ३० जनवरी १९४८ की शाम को जब वह एक प्रार्थना सभा में भाग लेने जा रहे थे, तब एक युवा हिन्दू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी |
सचमुच , गांधीजी ने अपना सर्वस्व न्योछावर करके वर्त्तमान भारत का नवनिर्माण किया | वास्तव में वे हमारे राम, महावीर और बुद्ध थे |
Nice
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