इंदिरा गांधी भारत देश की शक्तिशाली प्रथम महिला वडा प्रधान जो 'प्रियदर्शनी' के नाम से जानी जाती है । यहाँ इस पोस्ट में इंदिरा गाँधी जन्म जयंती और इंदिरागाँधी का जीवन परिचय के बारे लिखा गया है , आशा है आपको पसंद आएगा ।
इंदिरा गाँधी जयंती हर साल १९ वि नवम्बर को मनाया जाता है।इस दिन पुरे देश में जगह जगह पर जुलुश निकले जाते है और प्रार्थना सभा , सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।श्रंद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। अनेक शैक्षिक संस्थानों में इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कांग्रेस मुख्यालय एवं अन्य कार्यालयों में विशेष आयोजन किये जाते हैं। इन्दिरा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा अर्पित की जाती है।
इंदिरा गाँधी का परिचय
पूरा नाम : इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी
जन्म दिनाक : १९ नवम्बर , १९१७
जन्म स्थल : इलाहाबाद -उत्तर प्रदेश
पिता का नाम : पंडित जवाहरलाल नेहरु
माता : कमला नहेरु
पति : फ़िरोज़ गाँधी
संतान : राजीव गाँधी , संजय गाँधी
मृत्यु : ३१ अक्टूबर, १९८४ , नई दिल्ली
श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में श्रीमंत नहेरु परिवार में हुआ था । श्रीमती इंदिरा गाँधी स्वंत्रत भारत की पहली महिला वाडा प्रधान थे । उनके पिता जवाहरलाल नहेरु स्वतंत्र भारत के पहले वडा प्रधान थे ।बचपन से ही देश प्रेम और राजनैतिक मूल्यों को अपने दिल में रखकर वे अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के साथ ही रहते थे और राजनैतिक नीतिओ की भी शिक्षा ली ।कवि श्री रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें 'प्रियदर्शनी ' नाम दिया था । उनको दुशरे नाम 'इंदु ' और गूंगी गुडिया ' के नाम से भी पहचाने जाते थे ।इंदिरा गाँधी बचपन से ही भारत की स्वतंत्रता के संग्राम में जुड़े हुए थे ।उनके पिता सक्रीय राजकारणी होने के कारण घर में सदा राजनीती का माहोल रहता था , उसी माहोल में इंदिराजी का पालन पोषण हुआ।उन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय बंगाल, इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, शांति निकेतन में अपनी शिक्षा पूर्ण की ।
सन १९४२ में उन्होंने अपने पिता की इच्छा के बिना फ़िरोज़ गाँधी पारशी युवक के साथ शादी की । शादी के बाद संजय गाँधी और राजीव गाँधी दो पुत्रो को जन्मा दिया ।सन १९६४ में पिता जवाहरलाल नहरू के अवसान के बाद कोंग्रेस पक्ष द्वारा राज्यसभा के सभ्य नियुक्त किये ।फिर वे उस समय के वडाप्रधान लालबहादुर शास्त्री की सर्कार में प्रधान बने ।लालबहादुर शास्त्री का सन १९६६ में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु होने से कोंग्रेस पक्ष ने इंदिराज को भारत के वडा प्रधान के रूप में नियुक्ति की ।१० साल तक वे भारत के वडा प्रधान रहे ।फिर वो १९८० में फिर से वो वडा प्रधान बने ।
श्रीमती इंदिरा गांधी कमला नेहरू स्मृति अस्पताल, गांधी स्मारक निधि और कस्तूरबा गांधी स्मृति न्यास जैसे संगठनों और संस्थानों से जुडी हुई थीं। वे स्वराज भवन न्यास की अध्यक्ष थीं। वह बाल सहयोग, बाल भवन बोर्ड और बच्चों के राष्ट्रीय संग्रहालय के साथ जुड़ीं।श्रीमती गांधी ने इलाहाबाद में कमला नेहरू विद्यालय की स्थापना की थी।वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और पूर्वोत्तर विश्वविद्यालय जैसी कुछ बड़ी संस्थानों के साथ जुडी रहीं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय न्यायालय, 1960-64 में यूनेस्को के भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1960-1964 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड और 1962 में राष्ट्रीय रक्षा परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। वह संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय एकता परिषद, हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, नेहरू स्मारक संग्रहालय, पुस्तकालय समाज और जवाहर लाल नेहरू स्मृति निधि के साथ जुडी रहीं।
सन १९७५ में आपातकाल १९८४ में सिख दंगा जैसे कई मुद्दो पर इंदिरा गाँधी को भारी विरोध-प्रदर्शन और तीखी आलोचनाए का सामना करना पड़ा था । उसके बावजूद भी इंदिराजी ने १९७१ के युद्ध में विश्व शक्तिओ के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को हरा दिया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर भारत देश को समग्र विश्व में गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया । उस समय उन्हें "भारत रत्न " से सन्मानित किया गया ।
सन १९८० से १९८४ के समय में जब उनका वडाप्रधान काल चल रहा था तब पंजाब के बटवारे के समय स्वर्ण मंदिर पर आंतकवादियो के सामने हिन्दुस्तानी लश्कर के गोलीबार का हुकुम इंदिरा जीने दिया। उसी समय वहा करीबन १००० निर्दोष लोग मरे गए उसमे ४९० जितने सिख युवान मरे गए । इस हमले के प्रतिकार में पाँच महीने के बाद ही ३१ अक्टूबर १९८४ को श्रीमती गाँधी के आवास पर तैनात उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
आखिर में श्रीमती इन्दिरा गांधी एक ऐसी महिला थीं, जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। उन्हें 'लौह महिला' के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में इन्दिरा गांधी का नाम सदैव याद रखा जायेगा।
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